A poem against corruption in India.
मेरा भारत महान…… !
मेरा भारत महान…… !
जारी था हुआ फरमान,
हर ट्रक के पीछे लिखना,
था जरूरी,
“मेरा भारत महान”
हर ट्रक के पीछे लिखना,
था जरूरी,
“मेरा भारत महान”
इक ट्रक ड्राईवर ने देखो,
फरमान ये कैसे निभाया,
लिखा अपने ट्रक के पीछे,
छोटे अक्षर में पहले,
“ सौ में नब्बे बेईमान”
और बड़े बड़े अक्षर में
लिख्खा, उसके ही नीचे,
“ मेरा भारत महान.”
फरमान ये कैसे निभाया,
लिखा अपने ट्रक के पीछे,
छोटे अक्षर में पहले,
“ सौ में नब्बे बेईमान”
और बड़े बड़े अक्षर में
लिख्खा, उसके ही नीचे,
“ मेरा भारत महान.”
पोलिस ने जब ये देखा,
और उसे समझ जब आया,
ड्राईवर को उसने रोका,
और जेल की धमकी देकर,
गुस्से में बहुत सुनाया.
और उसे समझ जब आया,
ड्राईवर को उसने रोका,
और जेल की धमकी देकर,
गुस्से में बहुत सुनाया.
ड्राईवर था शांत और हसमुख,
जो मधुर स्वरों में बोला,
“ साहिब क्यों गुसा हो तुम,
तुम तो हो मेरे दस में,
नब्बे में नहीं तुम्हे डाला.”
जो मधुर स्वरों में बोला,
“ साहिब क्यों गुसा हो तुम,
तुम तो हो मेरे दस में,
नब्बे में नहीं तुम्हे डाला.”
पुलिस भी समझ गया सब,
ड्राईवर को उसने छोड़ा,
और ड्राईवर हसता हसता,
गाता हुआ वहाँ से निकला…..!
ड्राईवर को उसने छोड़ा,
और ड्राईवर हसता हसता,
गाता हुआ वहाँ से निकला…..!
“सौ में नब्बे बेईमान
है मेरा भारत महान”
है मेरा भारत महान”
Poet- Vishvnand
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